[ccpw id="5"]

HomeUniversal knowledgeबिरला परिवार का पूरा इतिहास जानें - History of Birla Family

बिरला परिवार का पूरा इतिहास जानें – History of Birla Family

-

बिरला परिवार का पूरा इतिहास जानें – History of Birla Family

Birla Family

बिरला परिवार का इतिहास (History of Birla Family)

भारत के औद्योगिक इतिहास में एक नाम जो सदियों से चमकता आ रहा है, वह है बिरला परिवार। यह परिवार न केवल भारत के आर्थिक विकास का प्रतीक है, बल्कि इसने समाज और शिक्षा के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दिया है। आज के इस वीडियो में हम बिरला परिवार के शुरुआती दिनों से लेकर आज तक के सफर को विस्तार से जानेंगे।

बिरला परिवार फैमिली ट्री
बिरला परिवार फैमिली ट्री

बिरला परिवार की कहानी

यह कहानी है बिरला परिवार की कहानी। एक ऐसे परिवार की गाथा, जिसने एक छोटे से गाँव से शुरुआत करके भारत के सबसे प्रभावशाली औद्योगिक साम्राज्यों में से एक की नींव रखी।

राजस्थान का एक छोटा सा गाँव हैं, पिलानी, जो राजस्थान के झुंझनू जिले में स्थित है। 18वीं सदी का समय था। यहीं से शुरू होती है बिरला परिवार की यह शानदार गाथा।

भूदरमल बिरला

इस कहानी के पहले नायक थे लाला भूदरमल बिरला, जिन्होंने पिलानी में साहूकारी का कारोबार शुरू किया। बिरला परिवार माहेश्वरी समुदाय से संबंध रखते थे, जिसे मारवाड़ी समुदाय के नाम से भी जाना जाता था। यह समुदाय पहले से ही व्यापार में सक्रिय था। लेकिन बिरला परिवार के मूल पुरखे बेहर सिंह क्षत्रिय थे। समय के साथ उनका नाम बदलता गया – पहले बेहरा, फिर बेहरिया, फिर बेरला और अंततः बिरला। यह नाम इतना प्रचलित हुआ कि आने वाली पीढ़ियां बिरला के नाम से जानीं जानें लगीं।

जब लाला भूदरमल पिलानी में बसे, तो उन्होंने साहूकारी का काम शुरू किया। उनके तीन बेटे थे, जिनमें से दो छोटे बेटे तो राजस्थान के दूसरे शहरों में अपनी किस्मत आजमाने चले गए। सबसे बड़े बेटे उदयराम ने पिता का काम संभाल लिया।

उदयराम के तीन बेटे हुए – शोभाराम, रामधनदास और चुन्नीलाल। बड़े बेटे शोभाराम के घर 1840 में एक बेटे का जन्म हुआ, जिसका नाम था शिवनारायण। वही शिवनारायण बिरला, जिन्होंने बिरला साम्राज्य की नींव रखी।

शिवनारायण बिरला

शोभाराम बेहतर भविष्य की तलाश में अजमेर चले गए, जहाँ वे सेठ पूरनमल के यहाँ मुनीम की नौकरी करने लगे। लेकिन 1858 में उनका देहांत हो गया। उस समय शिवनारायण केवल 18 वर्ष के थे, और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई।

नौकरी करना शिवनारायण को रास नहीं आया। उनके मन में कुछ बड़ा करने की ललक थी। वह चाहते थे कि लोग उन्हें ‘सेठ’ कहकर पुकारें। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने पिलानी लौटकर साझेदारी का व्यवसाय शुरू किया। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षाएं इससे बड़ी थीं।

इस समय तक शिवनारायण की शादी हो चुकी थी और उनके घर एक पुत्र बलदेवदास और एक पुत्री झीमादेवी का जन्म हो चुका था। 1863 में, बलदेवदास के जन्म के बाद, शिवनारायण ने मुंबई जाने का फैसला किया। उस समय मुंबई को बंबई या बॉम्बे के नाम से जाना जाता था। उस समय बंबई यानि मुंबई व्यापार का प्रमुख केंद्र था, जहाँ देश भर से लोग अपनी किस्मत आजमाने आते थे।

1863 में मुंबई पहुँचकर शिवनारायण बिरला ने अफीम पर सट्टा का कारोबार शुरू किया। सात साल के भीतर ही उन्होंने सात लाख रुपये की मोटी रकम कमा ली – जो उस समय के हिसाब से एक विशाल धनराशि थी। वापस पिलानी लौटकर उन्होंने एक भव्य हवेली बनवाई। उन्होंने इसके साथ ही धर्मशालाएं बनवानें और कुएं खुदवाने जैसे परोपकार के कार्य किए।

बलदेवदास बिरला

1875 में शिवनारायण अपने 11 वर्षीय पुत्र बलदेवदास को मुंबई ले आए। छोटी उम्र में ही बलदेवदास ने व्यापार के गुर सीख लिए। 1869 में पिता-पुत्र ने मिलकर ‘शिवनारायण-बलदेवदास’ नाम से एक फर्म की स्थापना की – यही वह फर्म थी जो बिरला समूह की पहली कड़ी बनी।

दोनों ने न केवल व्यापार में सफलता हासिल की, बल्कि समाज सेवा में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने धर्मशालाएं बनवाईं, मंदिरों का निर्माण करवाया, कुएं खुदवाए, और अकाल के समय लोगों को खाना उपलब्ध करवाया तो पशुओं के चारे की व्यवस्था की।

शिवनारायण औ बलदेवदास इन दोनों पिता-पुत्र का कारोबार ठीक चल रहा था लेकिन 1896 में मुंबई में फैली प्लेग की महामारी ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। मुंबई में प्लेग फैलने के कारण लोग मुंबई छोड़कर जाने लगे। दोनों पिता-पुत्र भी कोलकाता चले गए जो उस समय कलकत्ता के नाम से जाना जाता था। कलकत्ता पहुँचकर उन्होंने पचास हजार की पूंजी से नया व्यवसाय शुरू किया। मुंबई में महामारी खत्म होने के बाद शिवनारायण मुंबई लौट आए, जबकि बलदेवदास कलकत्ता में ही रुककर अपना कारोबार देखने लगे।

कलकत्ता यानि कोलकाता में बलदेवदास एक प्रतिष्ठित व्यापारी बन गए थे। उनके चार पुत्र हुए – जुगल किशोर, रामेश्वर दास, घनश्याम दास और बृजमोहन।

जुगल किशोर बिरला
जुगल किशोर बिरला

सबसे बड़े पुत्र जुगल किशोर ने पिता के साथ मिलकर ‘बलदेवदास-जुगलकिशोर’ नाम से एक नई फर्म की स्थापना की। उन्होंने अफीम का व्यापार शुरू किया और कई अन्य क्षेत्रों में भी सफलता हासिल की। 19वीं सदी के अंत तक मुंबई और कोलकाता के अफीम बाजार उनके नियंत्रण में थे।

1909 में शिवनारायण का निधन हो गया। इसके बाद बलदेवदास ने अपने चारों बेटों के साथ व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इनमें से घनश्याम दास बिरला सबसे सफल साबित हुए, जिन्होंने बिरला समूह को एक नई पहचान दी।

आइए अब बिरला परिवार की अगली पीढ़ियों को जानें। जुगल किशोर बिरला की कोई संतान नहीं हुई। रामेश्वर दास के दो पुत्र हुए – गजानन और माधव प्रसाद।

रामेश्वर दास बिरला
रामेश्वर दास बिरला

माधव प्रसाद बिरला
माधव प्रसाद बिरला

गजानन के पुत्र अशोकवर्धन बिरला हुए, जिनके बेटे यशोवर्धन बिरला ने यश बिरला ग्रुप नाम से बिरला परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया और अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अशोक वर्द्धन बिरला
अशोक वर्द्धन बिरला

यशोवर्द्धन बिरला

यशोवर्धन बिरला बिजनेस करने के अलावा अपनी फिटनेस एक्टिविटी और स्प्रिचुअल एक्टिविटी के लिए भी जाने जाते हैं। यशोवर्द्धन बिरला जो यश बिरला के नाम से फेमस हैं, उनकी जिंदगी ट्रैजिडी से भरी रही, जब उनके पिता अशोकवर्धन बिरला, माँ सुनंदा और बहन सुजाता की सन् 1990 में एक प्लेन क्रैश में मौत हो गई। उस समय यश बिरला केवल 23 साल के थे। माता-पिता और बहन के जाने का दुख वह सालों तक नहीं भुला सके। इस घटना ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला और वह अध्यात्म की ओर भी मुड़े।

यशोवर्द्धन बिरला
यशोवर्द्धन बिरला

यश बिरला अपनी फिटनेस के लिए भी बेहद जागरुक हैं और अपनी इंस्टाग्राम अकाउंट में फिटनेस और अध्यात्म से संबंधित एक्टिविटी की पोस्ट डालते रहते हैं। आज 2025 में 58 साल की उम्र में भी वे बेहद फिट हैं।

यश बिरला के तीन बच्चे हैं, दो बेटे बेदांत बिरला और निर्वाण बिरला और एक बेटी श्लोका बिरला। ये तीनों बिरला परिवार की सातवीं पीढ़ी के चेहरे हैं।

यशोवर्द्धन बिरला और उनका परिवार
यशोवर्द्धन बिरला और उनका परिवार

बलदेवदास बिरला के पहले और दूसरे बेटों के बारे में हम आपको बता चुके हैं। अब उनके तीसरे बेटे के बारे में बात करते हैं। बलदेवदास बिरला के तीसरे बेटे घनश्याम दास बिरला के तीन बेटे हुए – लक्ष्मीनिवास बिरला, कृष्ण कुमार बिरला और बसंत कुमार बिरला।

लक्ष्मीनिवास बिरला
लक्ष्मीनिवास बिरला

लक्ष्मीनिवास बिरला के पुत्र सुदर्शन कुमार बिरला हुए और पोते सिद्धार्थ बिरला हुए।

कृष्ण कुमार की बेटी शोभना भरतिया हैं।

बसंत कुमार बिरला की तीन संताने हुईं। बेटा आदित्य बिक्रम बिरला और बेटियां जयश्री और मंजुश्री।

बसंत कुमार बिरला
बसंत कुमार बिरला

आदित्य विक्रम बिरला ने आदित्य बिरला ग्रुप की स्थापना की, जिसे आज उनके पुत्र कुमार मंगलम बिरला सफलतापूर्वक चला रहे हैं।

आदित्य विक्रम बिरला
आदित्य विक्रम बिरला

कुमार मंगलम बिरला आज बिरला परिवार के सबसे सफल बिजनेसमैन हैं, और बिरला परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके तीन बच्चे हैं। दो बेटियां अनन्या बिरला और अद्धैतेशा बिरला और एक बेटा आर्यमान बिरला हैं। ये तीनों बिरला परिवार की सातवीं पीढ़ी के रूप में बिरला परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

कुमार मंगलम बिरला
कुमार मंगलम बिरला
बसंतकुमार बिरला, आदित्य विक्रम बिरला, घनश्यामदास बिरला और कुमार मंगला बिरला
बसंतकुमार बिरला, आदित्य विक्रम बिरला, घनश्यामदास बिरला और कुमार मंगला बिरला

 

बलदेवदास बिरला के चौथे बेटे बृजमोहन बिरला की तीन संताने हुईं। बेटा गंगा प्रसाद और बेटियां गंगाबाई और लेखाबाई।

गंगाप्रसाद बिरला के बेटे चंद्रकांत बिरला हुए, जो सी के बिरला के नाम से फेमस हुए। सी के बिरला की संतानें अवनी और अवंती बिरला आज समूह की नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

आज बिरला परिवार की छठी पीढ़ी के रूप में कुमार मंगलम बिरला और यश बिरला है, तो सातवीं पीढ़ी के रूप में उनके बच्चे आर्यमन बिरला, अनन्या बिरला, अद्वैतेशा बिरला, वेदांत बिरला, निर्वाण बिरला और श्लोका बिरला बिरला परिवार की विरासत को संभाले हुए हैं।

अनन्या बिरला, आर्यमान बिरला और अद्वैतेशा बिरला
अनन्या बिरला, आर्यमान बिरला और अद्वैतेशा बिरला

यह थी बिरला परिवार की कहानी – एक ऐसे परिवार की गाथा, जिसने भारतीय उद्योग जगत में एक नया इतिहास रचा। एक साहूकार के बेटे से लेकर एक वैश्विक औद्योगिक साम्राज्य तक का यह सफर भारत की आर्थिक विकास की कहानी का एक अहम हिस्सा है।

अवनि और अवन्ती बिरला
अवनि और अवन्ती बिरला

ये भी पढ़ें…

टाटा परिवार का पूरा इतिहास – History of TATA Family

बिरला परिवार का पूरा इतिहास (वीडियो)

https://youtu.be/xtOAVHAKWjc

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

LATEST POSTS

भेड़िया – जंगल का एक अजूबा और रहस्यमय प्राणी – Unknown Facts about wolf

Unknown Facts about wolf इस पोस्ट में हम आपको जंगल के एक ऐसे शक्तिशाली और रहस्यमय प्राणी के बारे में बताएंगे, जिसने हमेशा से मानव कल्पना...

स्नेक आइलैंड – साँपों से भरा धरती का एक खतरनाक द्वीप – Island of Snakes

आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने वाले हैं जहां जाना मौत को निमंत्रण देने जैसा है। जी हाँ, हम बात कर...

कालाची गाँव : कजाकिस्तान का वो रहस्यमयी गाँव जहाँ लोग महीनों तक सोते रहते हैं। – Kalachi village the mysterious village of sleeping people

कालाची: कजाकिस्तान का वो रहस्यमयी गाँव जहाँ लोग महीनों तक सोते हैं (Kalachi Village) आज हम आपको एक ऐसे अजीबोगरीब गाँव के बारे में बताने जा...

दुनिया की ये पाँच रहस्यमयी जगहें आपको हैरान कर देंगी। │Five mysterious places of the world

दुनिया की पाँच सबसे डरावनी और रहस्यमयी जगहों के बारे में जानें... (Five mysterious places) यूनिवर्सलपीडिया में आपका स्वागत है। आज हम दुनिया की पांच ऐसी जगहों...

Follow us

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Most Popular

spot_img