इतिहास के पन्नों में दफन: वो देश जो अब नहीं हैं (Countries That No Longer Exist)
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया का नक्शा हमेशा ऐसा नहीं था जैसा आज हम देखते हैं? हमारे आसपास की दुनिया में कई परिवर्तन हुए हैं, और इन परिवर्तनों का प्रभाव विश्व के भूगोल पर भी पड़ा है। वो देश जो आज हमें बड़े, ताकतवर और स्थायी लगते हैं, कभी वो भी छोटे-छोटे हिस्सों में बंटे हुए थे।
और कुछ देश तो ऐसे भी थे जो कभी अस्तित्व में थे, लेकिन आज पूरी तरह मिट चुके हैं। (Countries That No Longer Exist) इन देशों की अपनी सरकार थी, अपनी मुद्रा थी, झंडा था, और नागरिक भी। लेकिन समय, युद्ध, राजनीति या भूगोल ने ऐसा करवट ली कि ये देश इतिहास के पन्नों में दफन हो गए।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कुछ ऐसे ही देशों के बारे में, जो कभी थे, पर अब नहीं हैं। तो चलिए, इतिहास के इस अनसुने सफर की शुरुआत करते हैं…
युगोस्लाविया: एक टूटा हुआ संघ
20वीं सदी का एक महत्वपूर्ण देश जो यूरोप के दिल में बसा हुआ था, युगोस्लाविया। इस देश का गठन पहली बार 1918 में हुआ, जब कई छोटे देशों को मिलाकर इसे “Kingdom of Serbs, Croats and Slovenes” नाम दिया गया। बाद में राज्य का आधिकारिक नाम ‘युगोस्लाविया’ रखा गया।
युगोस्लाविया में कई प्रमुख जातीय समूह थे:
- सर्ब
- क्रोएट
- स्लोवेन
- बोस्नियाक
- मैसेडोनियन
- मोंटेनेग्रिन
लेकिन 1990 के दशक में जातीय संघर्ष, गृह युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह देश बिखर गया। इन संघर्षों में लाखों लोगों की जानें गईं और कई शहर तबाह हो गए।
युगोस्लाविया के बाद बने देश:
- स्लोवेनिया
- क्रोएशिया
- बोस्निया और हर्जेगोविना
- सर्बिया
- मोंटेनेग्रो
- उत्तरी मैसेडोनिया
- कोसोवो (जिसे कुछ देशों द्वारा मान्यता प्राप्त है)
तिब्बत: दुनिया की छत पर एक स्वतंत्र राज्य
आज तिब्बत चीन का एक हिस्सा माना जाता है, लेकिन एक समय था जब तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था। यहां के धार्मिक नेता, दलाई लामा, न सिर्फ धर्मगुरु थे बल्कि राजनीतिक नेता भी थे।
तिब्बत को अक्सर “दुनिया की छत” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह विश्व का सबसे ऊंचा पठार है। यह क्षेत्र बौद्ध धर्म और अपनी अनोखी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध रहा है।
1949 में जब चीन में माओ त्से तुंग की कम्युनिस्ट सरकार बनी, तो उन्होंने तिब्बत पर दावा किया और 1950 में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने वहां कब्जा कर लिया। 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो और हजारों तिब्बती शरणार्थियों को 1959 में पड़ोसी देश भारत में शरण लेनी पड़ी।
आज तिब्बत की आज़ादी की मांग दुनिया भर में उठती रहती है, लेकिन आधिकारिक रूप से तिब्बत अब एक स्वतंत्र देश नहीं है।
प्रुशिया: एक साम्राज्य जिसने यूरोप को बदला
प्रुशिया (Prussia) का नाम आपने इतिहास की किताबों में जरूर सुना होगा। यह कभी जर्मनी और पोलैंड के बड़े हिस्सों को मिलाकर बना एक ताकतवर राज्य था। 13वीं शताब्दी में शुरू होकर, प्रुशिया धीरे-धीरे यूरोप की एक प्रमुख शक्ति बन गया।
19वीं सदी में जर्मन साम्राज्य की नींव प्रुशिया ने ही रखी थी, और प्रुशिया के प्रधानमंत्री ओटो वॉन बिस्मार्क को “लोहे का चांसलर” कहा जाता था। उन्होंने जर्मन एकीकरण का नेतृत्व किया और दुनिया के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया।
हालांकि, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, इस राज्य को आधिकारिक रूप से खत्म कर दिया गया। 1947 में मित्र देशों ने प्रुशिया को खत्म करने का आदेश दिया और इसका क्षेत्र पोलैंड, सोवियत संघ, पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी में बांट दिया गया। आज इसका नाम सिर्फ इतिहास में रह गया है।
सेचेल्स न्यू हैन ओवर: अफ्रीका का भूला-बिसरा उपनिवेश
सेचेल्स न्यू हैन ओवर (Sechelles New Hanover) – यह देश शायद आपने कभी नहीं सुना होगा। 19वीं सदी के दौरान अफ्रीका में जर्मन उपनिवेश के तौर पर ये जगह जानी जाती थी। यह मुख्य रूप से आज के तंजानिया के क्षेत्र में स्थित था।
जर्मन साम्राज्यवादियों ने इस क्षेत्र पर कब्जा किया और स्थानीय संसाधनों का दोहन किया। लेकिन जैसे-जैसे उपनिवेशवाद खत्म हुआ, विशेष रूप से प्रथम विश्व युद्ध के बाद, यह क्षेत्र आज तंजानिया का हिस्सा बन गया और यह देश इतिहास में खो गया।
कन्फेडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका: चार साल का राष्ट्र
कन्फेडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका अमेरिका का ही एक हिस्सा था, जो 1861 से 1865 तक, यानी मात्र चार साल के लिए, एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया था। ये देश अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों में बना था और इसकी नींव दास प्रथा को बनाए रखने के लिए रखी गई थी।
जब अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने और उन्होंने दासता के विस्तार का विरोध किया, तो दक्षिणी राज्यों ने संघ से अलग होने का फैसला किया। इन 11 राज्यों ने मिलकर अपनी सरकार बनाई, अपना संविधान लिखा और जेफरसन डेविस को अपना राष्ट्रपति चुना।
अमेरिकी गृह युद्ध (1861-1865) के दौरान उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच खूनी लड़ाई हुई, जिसमें लगभग 6,20,000 लोग मारे गए। अंततः उत्तर की जीत हुई और कन्फेडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका को पुनः संयुक्त राज्य अमेरिका में शामिल कर लिया गया। इस प्रकार, यह देश इतिहास में विलीन हो गया।
चेकोस्लोवाकिया: “वेल्वेट डिवोर्स” का उदाहरण
1918 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद चेकोस्लोवाकिया का गठन किया गया। यह देश दो बड़े जातीय समूहों – चेक और स्लोवाक – को मिलाकर बना था। ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के पतन के बाद, यह स्वतंत्र राज्य बना।
चेकोस्लोवाकिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे, जिसमें नाज़ी आक्रमण, कम्युनिस्ट शासन और 1968 की “प्राग स्प्रिंग” जैसी घटनाएँ शामिल थीं।
लेकिन 1993 में एक आश्चर्यजनक घटना हुई – बिना किसी हिंसा के, चेकोस्लोवाकिया को शांतिपूर्वक दो स्वतंत्र देशों में विभाजित कर दिया गया:
- चेक गणराज्य
- स्लोवाकिया
इस शांतिपूर्ण विभाजन को “वेल्वेट डिवोर्स” (मखमली तलाक) के नाम से जाना जाता है, जो इतिहास में राज्यों के विभाजन का एक अनूठा उदाहरण है।
ईस्ट पाकिस्तान: बांग्लादेश का जन्म
1947 में भारत के बंटवारे के बाद पाकिस्तान दो भौगोलिक रूप से अलग-अलग हिस्सों में बंटा था – पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान, जिनके बीच 1,600 किलोमीटर भारतीय भूमि थी।
दोनों क्षेत्रों के बीच भाषा, संस्कृति और राजनीति में बहुत अंतर था। पश्चिमी पाकिस्तान में उर्दू भाषा प्रमुख थी, जबकि पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा बोली जाती थी। पश्चिमी पाकिस्तान का प्रभुत्व और आर्थिक असमानता ने पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष बढ़ा दिया।
1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्ला भाषा और पहचान के लिए संघर्ष किया, तो एक भयानक युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर नरसंहार किया, जिससे लाखों लोग मारे गए और करोड़ों शरणार्थी बनकर भारत आ गए।
भारत की सैन्य और राजनीतिक मदद से पूर्वी पाकिस्तान ने 9 महीने के युद्ध के बाद स्वतंत्रता हासिल की और एक नया देश बना – बांग्लादेश। इस प्रकार, ईस्ट पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो गया।
बियाफ़्रा: नाइजीरिया का भूला हुआ हिस्सा
1967 में नाइजीरिया के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में रहने वाले इग्बो समुदाय ने नाइजीरिया से अलग होकर अपना स्वतंत्र देश घोषित कर दिया, जिसे बियाफ़्रा रिपब्लिक कहा गया।
इस अलगाव के पीछे जातीय तनाव और ज़ुल्म था। इग्बो लोगों पर अत्याचार और उनके खिलाफ हिंसा के कारण उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए अलग राष्ट्र बनाने का फैसला किया।
यह स्वतंत्रता सिर्फ 3 साल तक चली क्योंकि नाइजीरिया सरकार ने बियाफ़्रा पर हमला कर दिया। बियाफ़्रा युद्ध (1967-1970) में अनुमानित 1-3 मिलियन लोग भुखमरी और हिंसा से मारे गए।
अंततः बियाफ़्रा को हार का सामना करना पड़ा और यह क्षेत्र नाइजीरिया में फिर से शामिल हो गया। इस संघर्ष ने मानवीय आपदा को जन्म दिया और “बियाफ़्रा के बच्चों” की तस्वीरें विश्व भर में फैल गईं, जिन्होंने कुपोषण के कारण फूले हुए पेट वाले बच्चों को दिखाया।
संयुक्त अरब गणराज्य: अरब एकता का प्रयोग
1958 में मिस्र और सीरिया ने मिलकर एक नया देश बनाया – United Arab Republic (संयुक्त अरब गणराज्य)। इसका उद्देश्य अरब एकता को बढ़ावा देना और पश्चिमी उपनिवेशवाद के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाना था।
मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासर इस संघ के अध्यक्ष बने। उनका सपना था कि धीरे-धीरे अन्य अरब देश भी इस संघ में शामिल होंगे और एक बड़ा अरब राष्ट्र बनेगा।
लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चला। 1961 में सीरिया अलग हो गया, और संयुक्त अरब गणराज्य का अस्तित्व खत्म हो गया। हालांकि, मिस्र ने 1971 तक अपने देश का आधिकारिक नाम संयुक्त अरब गणराज्य रखा था।
हवाई साम्राज्य: प्रशांत महासागर का मोती
हवाई कभी एक स्वतंत्र देश था, जिसका अपना राजा होता था। 18वीं शताब्दी के अंत में राजा कमेहामेहा प्रथम ने सभी हवाईयन द्वीपों को एकजुट करके हवाई साम्राज्य (Kingdom of Hawaii) की स्थापना की।
हवाई साम्राज्य में अपना संविधान, झंडा और अंतरराष्ट्रीय मान्यता थी। लेकिन 19वीं शताब्दी के अंत में अमेरिकी व्यापारिक हितों ने वहां अपना प्रभाव बढ़ाया।
1893 में अमेरिकी व्यापारियों और सेना ने वहां तख्तापलट किया और रानी लिलिउओकलानी को गद्दी से हटा दिया गया। 1898 में हवाई अमेरिका का एक प्रदेश बन गया और 1959 में औपचारिक रूप से अमेरिका का 50वां राज्य बना।
आज हवाई अमेरिका का एक राज्य है, लेकिन उसका एक समृद्ध स्वतंत्र इतिहास भी है, और वहां के कुछ मूल निवासी अभी भी हवाई की स्वतंत्रता की मांग करते हैं।
नुबिया: प्राचीन अफ़्रीका का गौरव
नुबिया अफ्रीका का एक प्राचीन साम्राज्य था जो आज के सूडान और मिस्र के बीच नील नदी के किनारे स्थित था। यह साम्राज्य मिस्र के प्राचीन साम्राज्य से भी पहले अस्तित्व में आया था और वहां पर खुद के राजा और रानियाँ हुआ करते थे।
नुबिया कई सदियों तक फला-फूला और यहां की समृद्ध संस्कृति, कला और वास्तुकला थी। यहां के लोग कुशल धातुकार और व्यापारी थे। नुबिया के महान पिरामिड और मंदिर आज भी सूडान में देखे जा सकते हैं।
समय के साथ यह साम्राज्य मिस्र और फिर रोमन प्रभाव में आ गया, और धीरे-धीरे नुबिया इतिहास में कहीं खो गया। आज यह क्षेत्र सूडान और मिस्र का हिस्सा है, लेकिन नुबियन लोग और उनकी संस्कृति अभी भी जीवित है।
सिक्किम: भारत का 22वां राज्य
आज सिक्किम भारत का एक खूबसूरत पहाड़ी राज्य है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1975 से पहले यह एक स्वतंत्र राज्य था?
17वीं सदी से सिक्किम एक स्वतंत्र राज्य था, जिसका अपना राजा होता था, जिसे “चोग्याल” कहा जाता था। 1890 में सिक्किम ब्रिटिश भारत का संरक्षित राज्य (प्रोटेक्टरेट) बन गया। भारत की आजादी के बाद 1950 में सिक्किम और भारत के बीच एक संधि हुई, जिसके तहत सिक्किम भारत का एक सहयोगी राज्य (एसोसिएट स्टेट) बना।
लेकिन समय के साथ, सिक्किम में लोकतांत्रिक आंदोलन उभरा, और 1975 में एक जनमत संग्रह हुआ। इस जनमत संग्रह में 97.5% लोगों ने भारत में विलय के पक्ष में मतदान किया। इसके बाद सिक्किम भारत का 22वां राज्य बन गया और उसका स्वतंत्र अस्तित्व खत्म हो गया।
अंत में…
इतिहास में ऐसे कई देश हैं जो अब विश्व मानचित्र पर नहीं दिखाई देते। कुछ शांतिपूर्ण तरीके से विभाजित हुए, जैसे चेकोस्लोवाकिया। कुछ संघर्ष और युद्ध के बाद नष्ट हुए, जैसे युगोस्लाविया। और कुछ बड़े साम्राज्यों द्वारा निगल लिए गए, जैसे तिब्बत और हवाई।
लेकिन क्या ये देश वाकई गायब हो गए हैं? निश्चित रूप से नहीं। इनकी यादें, इनकी कहानियाँ, इनके संघर्ष – सब इतिहास में जिंदा हैं। क्योंकि एक देश सिर्फ भूगोल से नहीं बनता, वो बनता है अपने लोगों की संस्कृति, भाषा, संघर्ष और सपनों से।
इतिहास में विलुप्त हुए ये देश हमें सिखाते हैं कि दुनिया का नक्शा हमेशा बदलता रहता है, और आज जो देश हम अटल समझते हैं, वे भी अस्थायी हो सकते हैं। देश बनते हैं, बिखरते हैं, और फिर नए रूप में उभरते हैं – यही इतिहास का अनंत चक्र है।
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