
टाटा समूह भारत के प्रसिद्ध औद्योगिक गानों में से एक है। रतन टाटा इसी औद्योगिक घराने के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। 9 अक्टूबर 2024 को भारत के इस प्रसिद्ध महान उद्योगपति श्री रतन टाटा का निधन हो गया।
रतन टाटा भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यावसायिक टाटा परिवार के एक महान उद्योगपति थे। उन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में भी अनमोल योगदान दिया था। न केवल रतन टाटा बल्कि उनके पिता, दादा, परदादा आदि ने भी भारत में उद्योगों के विकास में जो योगदान दिया, उसका कोई मुकाबला नहीं है।

टाटा परिवार का इतिहास (History of Tata Family)
टाटा परिवार ही भारत का पहला औद्योगिक परिवार था। टाटा परिवार को ही भारत में उद्योगों की बुनियाद रखने का श्रेय जाता है।
सभी के मन में टाटा परिवार (History of Tata family) के बारे में जानने की उत्सुकता होगी तो आज हम भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यावसायिक परिवारों में से एक डाटा परिवार के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
नुसीरवानजी टाटा
टाटा परिवार की शुरुआत नुसीरवानजी टाटा से हुई, जिन्हें टाटा परिवार का पितामह माना जाता है। नुसीरवानजी टाटा का जन्म 1822 में पर्शिया (ईरान) हुआ था और उनका निधन 1886 में मुंबई में हुआ।
वह पर्शिया के निवासी थे, जिसे आज हम सभी ईरान के नाम से जानते हैं। पर्शिया मे एक समय पारसी समुदाय का प्रभुत्व था। लेकिन कालांतर में पर्शिया में इस्लामी शासकों ने अपना अधिकार कर लिया। वे पारसियों को उत्पीड़ित करते थे। धीरे-धीरे पर्शिया से पारसियों की संख्या कम होने लगी और पारसी समुदाय के लोग दूसरे देशों में शरण लेने लगे।
पर्शिया में पर उत्पीड़न होने के कारण ही नुसीरवानजी ने परिवार सहित भारत में शरण ली। वह भारत के गुजरात राज्य में नवसारी नामक कस्बे में आकर बस गए।
नुसीरवानजी ने ही टाटा परिवार की नींव रखी थी। उनकी पत्नी का नाम जीवनबाई था। इन दोनों के पाँच बच्चे हुए। सभी पाँचो बच्चों में सबसे प्रसिद्ध नाम था, जमशेदजी टाटा का, जिन्हें भारतीय उद्योग के जनक के रूप में जाना जाता है।
जमशेदजी टाटा
उन्होंने ही भारत में टाटा समूह की नींव रखी जमशेदजी का जन्म 1839 में गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसारी में हुआ था। शुरुआती समय नवसारी में बिताने के बाद अपने नुसीरवानजी जी के साथ तत्कालीन बंबई चले आए, जिसे आज हम मुंबई के नाम से जानते हैं।

जमशेदजी के पिता नुसीरवानजी ने मुंबई में छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू कर दिए थे। जमशेदजी भी भी केवल 14 वर्ष की आयु से ही अपने पिता के साथ व्यापार में हाथ बंटाने लगे थे।
टाटा ग्रुप की स्थापना
मुंबई में व्यापार करके जमशेदजी टाटा ने 1868 में 21000 रूपों की पूंजी से एक छोटी सी कपड़ा मिल लगाकर। टाटा समूह की शुरुआत की। इस तरह वह टाटा समूह के संस्थापक बने। धीरे-धीरे वह व्यापार में सफल होते गए और एक सफल बिजनेसमैन बन गए।
जमशेदजी टाटा ने टाटा स्टील जैसे उद्योग की नींव रखी। उन्होंने मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के सामने ताजमहल होटल बनवााय और और जल विद्युत जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों की नींव रखी।
झारखंड राज्य में स्थित जमशेदपुर उन्हीं के नाम पर बसाया गया है। 1904 में उनके निधन तक टाटा समूह भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक साम्राज्य बन चुका था।
जमशेदजी टाटा की शादी हीराबाई दाबू से हुई थी। उनके तीन संताने हुईं। दो बेटे और एक बेटी। बेटों के नाम दोराबजी टाटा और रतनजी टाटा थे। बेटी का नाम धुनबाई टाटा था।
दोराबजी टाटा
जमशेदजी के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने 1932 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया। उन्होंने टाटा स्टील और टाटा पावर जैसे प्रमुख उद्योगों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका विवाह लेडी मेहरबाई टाटा से हुआ था।
लेडी मेहरबाई टाटा के बारे मे कहा जाता है कि एक समय जब टाटा कंपनी पर बेहद बड़ा आर्थिक संकट आ गया था तो मेहरबाई टाटा ने अपने बेशकीमती हीरे गिरवी रखकर टाटा समूह को संकट से निकलने में मदद की थी।

सर रतनजी टाटा
सर रतनजी टाटा जमशेदजी के दूसरे बेटे थे। उन्होंने दो शादियां की। उनकी पहली शादी लेडी नवाज़बाई से हुई और दूसरी शादी फ्रांसीसी महिला सुजैन ब्रियर से हुई। सर रतनजी टाटा और लेडी नवाज़बाई ने नवल टाटा को गोद लिया था, जो रतन टाटा के पिता बने।

जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा (जेआरडी टाटा)
सर रतनजी टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुजान ब्रियर के पुत्र जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा थे, जिन्हें जेआरडी टाटा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने 1938 से 1991 तक लगभग 53 वर्षों तक टाटा समूह का नेतृत्व किया। उन्होंने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की। इस एअरलाइंस का अधिग्रहण भारत की आजादी के बाद भारत सरकार ने कर लिया और ये एअर इंडिया के नाम से जानी गई। आज वापस ये एअरलाइंस टाटा समूह के पास आ चुकी है।

नवल टाटा
नवल टाटा रतनजी टाटा के गोद लिए बेटे थे। उन्होंने भी दो शादियाँ कीं। उनकी पहली पत्नी सूनी टाटा थीं, जिनसे रतन टाटा और जिमी टाटा का जन्म हुआ। उनकी दूसरी पत्नी सिमोन दुनोयर थीं, जिनसे नोएल टाटा का जन्म हुआ।
रतन टाटा
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ। उन्हें और उनके छोटे भाई जिमी को उनकी दादी नवाज़बाई ने पाला पोसा था। रतन टाटा ने 1991 में जेआरडी टाटा से टाटा समूह की कमान संभाली और 2012 तक इसका नेतृत्व किया।
रतन टाटा ने अपने जीवन में शादी नहीं की। कहा जाता है कि हिंदी फिल्मों की 70-80 के दशक की अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल से अनका अफेयर रहा था। सिमी ग्रेवाल वही अभिनेत्री हैं, जिन्होंने ‘मेरा नाम जोकर’ में राजकपूर के बचपन के रोल में रिशी कपूर की टीचर का रोल किया था। सिमी ग्रेवाल ‘कर्ज’ फिल्म में भी रिशी कपूर के साथ काम किया था।

रतन टाटा का सिमी ग्रेवाल से अफेयर तो रहा था, लेकिन कुछ कारणों से दोनों शादी नहीं कर पाए। उसके बाद रतन टाटा ने कभी भी शादी नहीं की और पूरी जिंदगी कुंवारे रहे।
जिमी टाटा
जिमी टाटा नवल टाटा और सूनी टाटा के छोटे पुत्र हैं और रतन टाटा के छोटे भाई हैं। जिमी टाटा ने टाटा समूह से रिटायरमेंट ले लिया है और अब एक सामान्य जीवन जीते हैं। वह मुंबई के कोलाबा के दो बेडरूम वाले फ्लैट में अकेले रहते हैं। उन्होंने भी रतन टाटा की तरह शादी नहीं ।

इस तरह रतन टाटा, जिमी टाटा और नोएल टाटा यह तीन भाई है, जिनमें रतन टाटा और जिमी टाटा दोनों सगे भाई हैं, तो नोएल टाटा उनके सौतेले भाई हैं।
नोएल टाटा
नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं और रतन टाटा के पिता नवल टाटा की दूसरी पत्त्नी सुमनो दुनोयर के बेटे हैं। नोएल टाटा कई टाटा कंपनियों के अध्यक्ष और वाइस चेयरमैन है। रतन टाटा के निधन के बाद ही नोएल टाटा ही टाटा ग्रूप के सर्वेसर्वा हैं।

टाटा परिवार की अगली पीढ़ी
टटा परिवार की अगली पीढ़ी के बात करें तो रतन टाटा और उनके भाई जिमी टाटा ने शादी नहीं की इसलिए दोनों भाइयों की कोई संतान नही है। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा ने अलू मिस्त्री से शादी की। उनकी तीन संतान हैं। दो बेटियां और एक बेटा। बेटियों के नाम लीह टाटा और माया टाटा हैं और बेटे का नाम नेविल टाटा है।

नेविल टाटा ने मानसी किर्लोस्कर से शादी की है और उनके दो बच्चे है। बेटा जमशेद टाटा और बेटी रियाना टाटा। इस तरह नोएल टाटा के बाद टाटा समूह की आने वाली पीढ़ी यही लोग हैं।
रतन टाटा का टाटा ग्रुप योगदान
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ। उनका निधन 9 अक्टूबर 2024 को 86 वर्ष की आयु में मुंबई में हुआ। उन्होंने न केवल टाटा समूह को एक नई पहचान दी बल्कि पूरे देश के औद्योगिक और सामाजिक परिदृश्य को बदल दिया था।
रतन टाटा के कार्यकाल में टाटा समूह में अभूतपूर्व विकास दिखा। उन्होंने फोर्ड, जगुआर, लैंड रोवर जैसी बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह एक वैश्विक ब्रांड बन गया था।
रतन टाटा ने भारत के मिडिल क्लास लोगों तक कार पहुंचाने के लिए लाख रुपए की टाटा नैनो कर भी निकाली, लेकिन उनका यह प्रोजेक्ट बहुत अधिक सफल नहीं हो पाया।
रतन टाटा केवल एक सफल व्यवसायी ही नहीं थे उन्होंने समाज सेवा और परोपकार के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दिया। उनके नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल कीं।
तो इस तरह टाटा परिवार भारत के अग्रणी परिवारों मे एक है। ये परिवार भारत का पहला औद्योगिक घराना माना जाता है।
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टाटा परिवार का इतिहास (वीडियो)
टाटा परिवार के इतिहास के बारे जानने के लिए ये वीडियो देखें।
https://www.youtube.com/watch?v=kJ_PZULnPYU&feature=youtu.be